"अपनी आंखों से देखा है"(कविता)
रिश्ते तार-तार होते अपनी आंखों से देखा हैं
शमशान गुलजार होते अपनी आंखों से देखा
राजनीति में नाइतिफाकी स्थाई नहीं होती
दुश्मन भी यार होते अपनी आंखों से देखा है
इश्क जान पहचान वाले से हो कोईजरूरी नहीं
अजनबी से प्यार होते अपनी आंखों से देखा है
यह सच है भयावह शब के बाद सहर होती है
पतझड़ में बहार होते अपनी आंखों से देखा है
इंसान अब कहां रहा नैतिक मूल्यों पर खरा
इकरार से इंकार होते अपनी आंखों से देखा है
जरा सी गफलत के दुष्परिणाम भुगतने होते हैं
जीत से हार होते अपनी आंखों से देखा है
Written by कमल श्रीमाली(एडवोकेट)
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