"अजब शौक"(कविता)

वो  सबके मन की बात  जानता  हैं

फिर भी आस्तीन में सांप पालता हैं


खुद  की मुसीबतें  कम नहीं लेकिन

दूसरों  की  फटी  में  टांग  डालता है


यह  कैसा मुर्ख  हैं घोर  कलयुग  में

अपना  बिगाड़,औरों का संवारता है


वो सच में फरिश्ता है,दुसरो के लिए

खुद  की जान जोखिम में डालता है


अजब   शौक  रखता  हैं ये  दिवाना

पेड़  से  गिरे  पत्तो  को  संभालता हैं

Comments

  1. अजब शौक रखता हैं ये दिवाना

    पेड़ से गिरे पत्तो को संभालता हैं
    nice line sir....

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