"बुलबुल श्रृंगार करेगी"(कविता)
आशा है सुबह की किरण खिलेगी।
नई उमंग प्राकृतिक श्रृंगार करेगी।।
नया सवेरा सूरज लेकर निकलेगा।
आशा किरण उम्मीद फिर जगेगी।।
नदियाँ फिर से कलरव करेंगी।
चहो ओर फिर खुशियाँ खिलेंगी।।
मधुर मीठी आवाज में कोयल।
बसंती गीत कोई फिर सुनायेगी।।
मन हर्षित मोरनी नृत्य करेगी।
पंछियों की तान फिर सुनेगी।।
कोयल, कौआ, और गौरैया,।
बुलबुल, फिर श्रृंगार करेगी।।
आशा है किरण की रोशनी से।
मन से अंधकार दूर करेगी।।
किसी को न उम्मीद नही करेगी।
प्राकृतिक सब की गोद भरेगी।।
हौसला है उम्मीद की किरण से।
मन से हिम्मत नही हारने देगी।।
हर रात एक उम्मीद की आशा से।
कल भोर सुबह एक नई जिन्दगी देगी।।
Written by कवि महराज शैलेश
nice.....
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