"आज भी जारी है"(कविता)
जन्नत!
जहां का आंखों देखा हाल
बताने को
वापस ना आया
अब तक कोई जाकर,
मगर समुदाय विशेष के द्वारा
वहां जाने के ख्वाब दिखा-दिखाकर
लोगों को जीते जी 'दोजख' में धकेलना
आज भी बदस्तूर जारी है।
हेवन!
जहां की अतुलनीय खूबसूरती
बयां करने को
वापस ना आया
अब तक कोई जाकर,
मगर समुदाय विशेष के द्वारा
वहां जाने के ख्वाब दिखा-दिखाकर
लोगों की जिंदगी जीते जी 'हेल' बना देना
आज भी बदस्तूर जारी है।
स्वर्ग!
जहां मिले आनन्द की अनुभूति
दर्शाने को
वापस ना आया
अब तक कोई जाकर,
मगर समुदाय विशेष के द्वारा
वहां जाने के ख्वाब दिखा-दिखाकर
लोगों को जीते जी 'नरक' भोगने पर
मजबूर करना
आज भी बदस्तूर जारी है।
Written by जितेन्द्र 'कबीर'
bahut sundar rachana...
ReplyDeleteजी धन्यवाद आपका
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