"आज भी जारी है"(कविता)

 जन्नत!

जहां का आंखों देखा हाल 

बताने को 

वापस ना आया 

अब तक कोई जाकर,

मगर समुदाय विशेष के द्वारा

वहां जाने के ख्वाब दिखा-दिखाकर

लोगों को जीते जी 'दोजख' में धकेलना

आज भी बदस्तूर जारी है।


हेवन!

जहां की अतुलनीय खूबसूरती

बयां करने को

वापस ना आया

अब तक कोई जाकर,

मगर समुदाय विशेष के द्वारा

वहां जाने के ख्वाब दिखा-दिखाकर

लोगों की जिंदगी जीते जी 'हेल' बना देना

आज भी बदस्तूर जारी है।


स्वर्ग!

जहां मिले आनन्द की अनुभूति

दर्शाने को

वापस ना आया

अब तक कोई जाकर,

मगर समुदाय विशेष के द्वारा

वहां जाने के ख्वाब दिखा-दिखाकर

लोगों को जीते जी 'नरक' भोगने पर

मजबूर करना

आज भी बदस्तूर जारी है।

Comments

Post a Comment

Popular posts from this blog

"जिस्म़"(कविता)

"बेटियाँ"(कविता)

"उसकी मुस्कान" (कविता)

"बुलबुला"(कविता)

"वो रात" (कविता)