"आहिस्ता-आहिस्ता"(कविता)

तारों की छाँव में ले चल आहिस्ता आहिस्ता।

ऐ रात की बेला तू ढल आहिस्ता आहिस्ता।।


जुगनुओं ने जलना है आहिस्ता आहिस्ता।

उनका दीदार करना है आहिस्ता आहिस्ता।।


उनका नजरों को उठाना आहिस्ता आहिस्ता।

जी भरकर के हमे देखना आहिस्ता आहिस्ता।।


मखमली हवा चल पड़ीं आहिस्ता आहिस्ता।

वन उपवन महक उठी आहिस्ता आहिस्ता।।

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