पेशोपेश में जनता
हुकूमतें एक तरफ करती हैं
जोर शोर से जनता का आह्वान
महामारी से लड़ने का,
आपसी दूरी बनाए रखते हुए
काम अपने सारे करने का,
और दूसरी तरफ खुद ही
कर देती हैं विधान
सत्ता के लिए चुनाव लड़ने का,
दूरी संभव नहीं जिसमें ऐसे
पचड़े में पड़ने का,
महामारी हो या हो चुनाव
जनता ही मारी जाएगी
उसके खून की कीमत पर
सत्ता हर बार
अपना गुणगान करवाएगी।
हुकूमतें एक तरफ करती हैं
जोर शोर से जनता का आह्वान
धर्म-जाति से ऊपर उठकर
विकास के मुद्दे पर वोट करने का,
लोकतांत्रिक मूल्यों में आस्था
रखते हुए नैतिकता के
उच्च मानदंड स्थापित करने का,
और दूसरी तरफ खुद ही
कर देती हैं विधान
साम,दाम, दण्ड,भेद से सत्ता पर
काबिज होने का,
उसके लिए लोगों के दिलों में
जमकर प्रचार से
जहर के बीज बोने का,
नैतिकता हो या हो कानून
का पालन
जनता से ही करवाएगी
लेकिन अपनी बारी आने पर
सत्ता के लिए हर मूमकिन
हथकंडा अपनायेगी।
Written by जितेन्द्र 'कबीर'
nice.....
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