अब तो मानव नींद से जग
हे मानव तू दौड लगा ले,
नदिया पर्वत सागर -सागर।
आसमान को लाघ लिया है,
अम्बर को तूने बांध लिया है।
जंगल पर्वत काट रहा है ।
धरती को तू बाट रहा है।
मानव में नस्ले छाट रहा है।
फिर बोलो तेरा क्या होगा,
तू बलशाली बना हुआ है।
पैर उठा कर तना हुआ है।
एक कोरोना वाइरस आया,
दुम दबाकर तुझे भगाया।
उल्टे पांव रहा तू भाग।
अब तो मानव नींद से जाग।
Written by सुरेश कुमार 'राजा'
nice.....
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