"उपवन"(कविता)

 


आज  नभ, में  प्यारी लाली छाई,

सूरज, ने अपनी   किरणें, फेलाई


तेज़  धूप,  ने ली  बड़ी   अंगड़ाई,

बागोंहै कलिया खिली तितलियां।


बड़ी  मुस्कुराई  कोकिल  अपनी। 

मधुर,  आवाज। से  कोई    गीत।


सुनाई, चो  तरफ उपवन में जैसे।

हरियाली छाई मीठी मीठी डाली।


से  सूखे  पत्तों,  की  खुश्बू, आई,

प्रकुति   की   चुनरियां,   लहराई।

Comments

Post a Comment

Popular posts from this blog

"जिस्म़"(कविता)

"बेटियाँ"(कविता)

"उसकी मुस्कान" (कविता)

"बुलबुला"(कविता)

"वो रात" (कविता)