"पुनरावृति"(कविता)

 


ठहरा हुआ  सफर है ,

क्यूं है आदमी  जंगी ?

ये कैसा जहर है ,

तस्वीरें क्यूं थीं नंगी ?


कैसे - कैसे जमा कबूतर हैं ,

क्यूँ है आखिर तंगी ?

अंधेरी दुनिया कसर है ,

फंसे हैं क्यूं भुजंगी ?


कागजों पे तेवर है ,

महफिल क्यूं हैं बहुरंगी ?

डूबाता क्या समंदर है ,

अतीतें पुनरावृति पाते  फिरंगी !


मौनता तक घर है ,

इश्क क्या है बदरंगी ?

ये कैसा लहर है ,

नकाबों में क्यूं सतसंगी ?


जिंदगी को डर है ,

कहां जमीरें हैं संगी ?

छलिया नजरिया भ्रमर है ,

परछाइयां भी अलबत्ता उमंंगी ।


गोपियाँ अक्षरशः यायावर हैं ,

कलयुगी पीड़ा क्या नारंगी ?

नयन  बरसातें  अम्बर हैं ,

न कहें - नदियाँ बेढंगी !!


मछलियां तक स्तर है ,

रानी सदाबहार और ढंगी ।

पेड़ों पे बंदर हैं ,

कलियां तक क्या -क्या मंहगी ?

अभिसारिका चंदा  प्रश्नोंत्तर है ,

रूपैया से क्या - क्या गूंगी ?

Comments

  1. रूपैया से क्या - क्या गूंगी ?
    Superb lines 💕

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

"जिस्म़"(कविता)

"बेटियाँ"(कविता)

"उसकी मुस्कान" (कविता)

"बुलबुला"(कविता)

"वो रात" (कविता)