"पिय से प्रीत"(कविता)
रंग भाये न पीला केसरिया मुझे
अपने रँग में तू रँग ले सँवरिया मुझे।
ये खिली धूप सी,रँग भरी फूल सी
ओढ़ लूं तूने दी जो ,चुनरिया मुझे।
शूल भी फूल हों, जो चले साथ तू
फिर लगे सार्थक ये उमरिया मुझे।
ना मैं राधा न मीरा नहीं रुक्मिणी
हूँ मैं तेरी बना ले बसुरिया मुझे।
साथ छोड़ूँ न तेरा कभी भी पिया
छोड़ दे चाहे सारी नगरिया मुझे।
Written by शिखा गर्ग
शूल भी फूल हों, जो चले साथ तू
ReplyDeleteफिर लगे सार्थक ये उमरिया मुझे।.. bahut achhi line likha hai aap na...