"माँ"(कविता)


इस संसार, मैं लाई  हमें  माँ  पीड़ा, सहकर।  

माँ तेरी गोदसे बढकर दुसरा कोई नही चमन,

हाथ पकफड़,  कर चलना  सीखाया माँ तुने,

सही और गलत,  का  फर्क समझाया।  मूझे। 

 

माँ तू मेरा, आधार तुझ बीन जीवन निराधार, 

तू है  ईश्वर, का रूप माँ तूझे शत  शत नमन। 

तेरे पाँव,में  है जन्नत,  करती।  पूरी तू  मन्नत,

मरी हर  एक खुशि मेरा त्योहार। हो  तुम माँ।


घुटने रेंगते न जाने कब मैं  बड़ा हो गया तेरी।

ममतामय छाव मैं तेरे आशिष से में जीवन मैं,  

सफलहो गया तेरे आंचल में पूरी सृष्टि समाई।

साये की तर्ह हर एक कदम पर  साथ हो तुम,

तेरी करूणा। के आगे  सागर भी रति समान।


माँ तू शिवशक्ति, तेरी हर रोज करू  में भक्ति,

इस जीवन मे तेरा कोई नही मोल तू अनमोल।

Comments

  1. माँ तेरी गोदसे बढकर दुसरा कोई नही चमन,
    nice line

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