"कशिश तेरे प्यार की"(कविता)
ख़ामोश अधरों की कहानी
आंखें बयां करती रही,
दर्दे जिगर का इंतहा
नीर छलकाती रही ।
हर बूंद पर दस्तक
दे रहा था एक शक्स,
भूल कर सारा जहां मै
लिपट गई देख उसका अश्क।
लबों की सुर्ख़ियत पर
नाम था उस श्ख्स का ,
लहराते हर केशों पर
इल्ज़ाम था उस शख्स का।
सांसों के सरगम में
तरंग थी उसके प्यार की,
धड़कने बता रही थी
कहानी बीते बहार की।
प्यार का मेरी वफ़ा का वो
एक हसीन अहसास था,
कैद दिल में हर वो लम्हा
जब वो मेरे पास था।
जानती हूं मै कभी
हमें न भूल पाओगे,
कशिश है मेरे प्यार कि
तुम लौट कर फिर आओगे।।
Written by मंजू भारद्वाज
superb.... manju ji....
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