"कलम की कमाल"

 

खुदा ने क्या तकदीर लिखी है मेरी

खुदा कभी कभी तो लगता है

खुदा तू तकदीर पूरा करना ही भूल गया होगा

खुदा इसलिए तो

खुदा मुझे पूरा करना ही भूल गया


खुदा ने क्या तकदीर लिखी है मेरी

खुदा कभी कभी तो लगता है

खुदा तेरे कलम की इंक ने तुझे धोखा दिया होगा

खुदा इसलिए तो

खुदा ने भी हर धोखे बाजों से मिलवाया


खुदा ने क्या तकदीर लिखी है मेरी

खुदा कभी कभी तो लगता है

खुदा तू ऐसा क्या सोच रहा होगा

खुदा इसलिए तो

खुदा आज भी सोच में डाल दिया


खुदा ने क्या तकदीर लिखी है मेरी

खुदा कभी कभी तो लगता है

खुदा तुझे मेरी तकदीर लिखने ही नही आया

खुदा इसलिए तो

खुदा मुझे खुद से लिखना नही आया


खुदा ने क्या तकदीर लिखी है मेरी

खुदा कभी कभी तो लगता है

खुदा तकदीर लिखते हुए एक मज़ाक किया होगा

खुदा इसलिए तो

खुदा मेरी जिंदगी भी एक मज़ाक बना दिया


खुदा ने क्या तकदीर लिखी है मेरी

खुदा कभी कभी तो लगता है

खुदा मेरी तकदीर लिखते हुए किसी ओर की भी तकदीर बनाया होगा

खुदा इसलिए तो

खुदा ने जिसे भी मिलवाया वो भी किसी और के बारे में सोचता


खुदा ने क्या तकदीर लिखी है मेरी

खुदा कभी कभी तो लगता है

खुदा तू तकदीर लिखते हुए

खुदा कि आंख बंद हो गई होगी

खुदा इसलिए तो

खुदा किसी को सचाई दिखाई नही देती


खुदा ने क्या तकदीर लिखी है मेरी

खुदा कभी कभी तो लगता है

खुदा तू दुखों से घिरा होगा

खुदा इसलिए तो

खुदा ने मेरी जिंदगी भी दुखों से घेर दिया


खुदा ने क्या तकदीर लिखी है मेरी

खुदा कभी कभी तो लगता है

खुदा मैने भी तेरी तस्वीर है देखी

खुदा उसमें तू मुस्कुराते ही रहता

खुदा भी दुखों में भी मुस्कुराने होगा

खुदा इसलिए तो

खुदा ने ये हुनर भी है मुझे दिया


खुदा ने क्या तकदीर लिखी है मेरी

खुदा आज तुझसे खुद की ही तकदीर जोड़ दी

खुदा ने क्या तकदीर लिखी है मेरी

खुदा को खुद में लिख दिया

खुदा ने भी क्या तकदीर लिखी है मेरी


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