"होली"(दोहे)

 होली होली सब करें हो ली बहुत उदास

रो ली कितना आज मैं कंत नहीं जब पास 

।1

रंग डारन आई ती किसन दिखे ना पास

पीर पगी पलकन भगी होके सकल उदास 

।2

मलते खूब गुलाल हैं डाल घूंघटा हॉथ 

होली खेल अघात नहिं कितनऊं नावैं माथ 

।3

रंग लिये राधा खडी़ं तकें किसन की गेल 

हरी कहूं अनते रमें भयो खेल सब फेल 

।4

Written by डा० अरुण नागर

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