"हरियाणवी गीत"


म्हारे छोरे कै नजर लगी, किसी दुसट पडोसन की तडकै।

के बैरण नै जुलम करे ये, घर आल़ी का जी धडकै।


घणा अँधेरा घुप्प छा गया,कालबली के रास रचै।

अनहोणी नै टाल़ रामजी,आँख मेरी बाईं फडकै।


सनन सनन सी पौन चलै है, घूँघूँघूँघूँ पेड करैं।

घटाटोप छाए सैं बादल़,अम्बर म्हं बिजल़ी कडकै।


हुया करै था भाईचारा, लदे जमाने दूर कितै।

किसा टेम आ गया, मरैं सैं आपस ही म्हं लड लड कै।


अनपढ थे तो मान करैं थे,पढ लिख कै नै ऊत हुये।

बापू सही राह की कहता, बेट्टा अम्मा पै भडकै।

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