"हाईकू"

मन ये चाहे

इकतारा सा बजे

  कुछ न पाये


   मानी बंदिशें

स्वप्न हुऐ खंडित

   न अविश्वास 


    पूजे पत्थर

धागे बांधे मन्नत के

   तुम न माने


   अधूरे स्वप्न

रिश्तों के श्रंगार

  अब हैं झूठे


   उड़ी सुगंध

सूखे मन के पुष्प

   मै  पथभ्रष्ट

Written by अनुपमा सोलंकी

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