"हाईकू"

रिश्ते नाते

अनबूझ पहेली

अब लगते


है मृगतृष्णा

नहीं कोई अपना

बीता जीवन


मोह के धागे

अब लगे टूटने

चटके मन


लागी लगन

तोड़ा मोह बंधन

मन संगम


आर या पार 

नैया बीच भँवर

 बंसी की धुन


राग से विराग

उड़ चला है मन

न कोई आस

Written by अनुपमा सोलंकी

Comments

  1. है मृगतृष्णा

    नहीं कोई अपना

    बीता जीवन
    Nice lines... Superb

    ReplyDelete

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