"एक थी समीरा"(लघु कहानी)


आज एफबी खोलते ही समीरा की हंसती मुस्कुराती एक पुरानी तस्वीर जिस पर पचास हजार लाइक एवं एक हजार कमेंट  आए थे, दिखाई दी, करीब आठ महीने बाद समीरा पुनः प्रकट हो गई ?

न जाने कहाँ गायब हो गई थी ये लड़की...

चलो वापस तो आई ...

बेहद खूबसूरत ,चुलबुली ,बेबाक लड़की

जिंदगी से भरी..

बीस इक्कीस वर्ष की होगी हम सभी फेसबुक सहेलियों को दीदी कहती .. ..

करीब पन्द्रह सोलह महिलाओं के बीच वह सबसे छोटी सबसे जीवंत लड़की थी. ..

लेखनी बेहद प्रखर जिस विषय पर क़लम चला दे वही सुपर हिट...

रिकॉर्ड तोड़ लाईक कमेंट आते उसकी प्रत्यैक पोस्ट पर ..

हम सबकी बेहद लाड़ली ... होते हुए भी कभी -कभी उससे जलन हो जाती थी ..

जब भी कोई पुस्तक प्रकाशित होती तुरंत शेयर करती ..

कई काव्य संग्रह, एवं कहानी संग्रह प्रकाशित हो चुके थे ..

गद्य पद्य दोनो पर धारदार लेखनी का कमाल ... देखने मिलता ।

फिर एक दिन अचानक गायब हो गई... जैसे अचानक आई थी वैसे ही ..

बहुत दिन हमने इंतजार किया था ..

फिर भूल गये तो नहीं कह सकते हाँ याद करना बंद कर दिया .. उसके विषय में एक दूसरे से पूछना बंद कर दिया ..

और आज फिर यह सामने है...

क्या लिखी है पढ़ने की अदम्य इच्छा जाग उठी ...

उसने लिखा था ---

मेरे सभी आभासी मित्रों को मेरा यानी आपकी अपनी समीरा का प्यार भरा नमस्कार ...

जब तक ये पोस्ट आप तक पहुंचेगी मैं आप सबसे बहुत दूर जा चुकी होऊंगी, आसमानी सितारा बन वहीं से आप सभी को देखूंगी इस पोस्ट को पढ़ते हुए ।


मै चौंक गई ये क्या लिख रही है ..


जल्दी से आगे पढ़ने लगी मैं ..


सोचा था आप सभी को सरप्राईज़ दूंगी !!


न...न... ये सरप्राईज़ नहीं , विवाह होने जा रहा था मेरा... पन्द्रह दिन की छुट्टी ले ली थी आभासी दुनिया से ...

पर तब पता न था जिस दुनिया में जा रहीं हूँ वहाँ की रवाएंते कहर बनकर टूट पड़ेंगी मुझ पर ...

सबसे पहले मेरी लिखी पुस्तकों का दहन किया गया फिर मोबाइल फोन का ..

पढ़े लिखे परिवार की एक -एक असलियत क्रूरता , पाखंड, बदनीयति और लालच परत दर परत खुलता चला गया...

घर में बचपन से मां नहीं थी ...

पिता ने स्त्री धर्म निभाने की सलाह दी 

थी ...

पहले मेरे अंदर की लेखिका मार दी गई...

फिर मेरे अंदर की स्त्री को मार दिया गया 

यह आखिरी पोस्ट है मेरी ,हास्पिटल में हूँ, अंतिम समय है, एक सिस्टर ने मेरी आइडी पर मेरे आग्रह से पोस्ट किया है ...

बहुत सहा अब अलविदा ...

आप सभी की छोटी अभागी बहन समीरा ।


मेरे आँसू समीरा के चित्र पर टप - टप गिर रहे थे वह मुस्कुरा रही थी।

Written by अनुपमा सोलंकी

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