"दास्तान-ए-दर्द"


यू तेरा मुस्कुराना, थोड़ा सा शर्माना,

दूर ना रह पाना, और पास आकर इतराना,

मुझे आज भी याद है।।


मेरी खरोच पर आशु बहाना, चीखना और चिलाना,

पहले जी भर कर डाँटना, फिर मुझे समझाना,

मुझे आज भी याद है।


सुन मेरी आवाज, हल्के से मुस्कुराना,

बिन किये बात, चैन नही पाना,

पूछने पर हाल करना बहाना,

कारण आंसू का कभी न बताना,

मुझे आज भी याद है।।


बदलते है रिस्ते, बदलती है रस्मे,

तड़पते है दिल, टूटते है कसमे,

छलकते है अश्क़, न होते अपने बस में,

बन जाते हैं आसिर, जब डूबते तेरे नफ़्स में,

तेरा वो गुनगुनाना, ना देख कर छटपटाना,

मुझे आज भी याद है।


वो सारी यादों को मिटा रहा हूँ,

खुद को सितम-ए-दर्द दिखा रहा हूँ,

ख़ामोश हो गई कलम मनीष की,

अल्फाज बिहारी की गुनगुना रहा हूँ,

भूल जाऊंगा तुझे, वादा है मेरा,

जुबाँ की नहीं, दास्तान-ए-दिल बता रहा हूँ।


लाख कर लूं कोशिस, भूल गया तेरी सूरत,

पर तेरी वो सांसो की झंकार,

मुझे आज भी याद है।

मुझे आज भी याद है 

Written by #शायर_मनु_बिहारी

Comments

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    1. Thank you, bas aap sab ka aasirwad hai....

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    1. Thank you sir, bas aap sab ka aasirwad hai....

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    1. Thank you sir, bas aap sab ka aasirwad hai....

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    1. Usi Dard ko apni takt bnane ki kosis jari hai

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  5. Lahu ko sayahi bana diye ho sir... Superb 👍

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    1. Thank you sir, bas aap sab ka aasirwad hai....

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  6. आप सब को तहे दिल से शुक्रिया

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