"अंतिम चेतावनी"
यदि तलवार चली गर्दन पर,
धड़ मेरा संग्राम मचाएगा।
खुनो की होली होगी,
हाहाकार मचेगी रन भूमि में,
यदि रथ जिधर मुड़जायेगा।
सुनो ओ गीदड़ो के झुण्ड,
यदि ललकारा शेर को,
तुम्हारा वर्त्तमान क्या?
भविष्य भी पछतायेगा।
छल से दूर किया योद्धा को,
ग्लानि नहीं है आँखों में,
यदि पिता नहीं तो क्या ?
पूत रणभेरी बजायेगा।
कदम रखा हूँ रणभूमि में,
कहाँ, कैसी है विहु गीदड़ो की?
यदि चढ़ा बाण धनुष पर,
हर चक्रविहु खंड-खंड होजायेगा।
वीर पुत्र हूँ,
ना जख्म से विचलित होता,
मृत्यु का सिंगार हूँ करता,
यदि धराशाही हुआ तो क्या ?
वीरगति प्रापत किया कहलायेगा।
आशीर्वाद शुभद्रा मैया का,
भुजाओ में बल पिता अर्जुन का,
तिलक खु से स्वम किया,
अंतिम चेतावनी देता अभिमन्यु,
ठहर जा, सम्भल जा,
नहीं तो कतरा-कतरा लहू,
मिट्टी में मिलजायेगा।
नर-नरमुंडो की ढ़ेरी लगेगी,
लह-लहूलुहान नदी बहेगी,
त्राहि-त्राहि-माम रणभूमि में क्या?
पूरी धरती पर त्राहि-माम मच जायेगा।
Written by #atsyogi
Super
ReplyDeleteThank pooja ji
DeleteAchha hai
ReplyDeleteji... dhanyabad....
Delete