"सामना"(कविता)
बारिश तो आज भी हो रही
जैसे कल तक हुआ करती थी
ना जाने कैसे बारिश को भूल सी गई मैं
जैसे कल तक झूमा करती थी
आज कलम कॉपी पकड़ कर बैठी हूं
कल तक तो नाव बना दिया करती थी
बारिश तो आज भी हो रही
जैसे कल तक हुआ करती थी
नाव के पीछे पीछे चलना
तालियां बजा बजा कर झूमना
आज वो बचपन बारिश में कहीं गुम सा गया
बारिश तो आज भी हो रही
जैसे कल तक हुआ करती थी
बचपन में तो कभी नोटिस ही नही किया था
लेकिन आज बहुत कुछ नोटिस हो रहा
कौवे आज कैसे पैड़ की डाली पर बैठे
अपने पंखों को चोंच से सहला रहे
लेकिन आज बहुत कुछ नोटिस हो रहा
बारिश तो आज भी हो रही
जैसे कल तक हुआ करती थी
पते कितनी खूब सुरती से
अपना रंग बिखेर रहे
कलिया हल्की हल्की सी मुस्कुरा रही
चिड़िया ची ची कर गुनगुना रही
बारिश तो आज भी हो रही
जैसे कल तक हुआ करती थी
लेकिन मैं बिता हुआ कल खोज रही थी
न जाने कौन से कल में डूबी थी मैं
बारिश तो आज भी हो रही
जैसे कल तक हुआ करती थी
Nice
ReplyDeleteNice lines ☺️
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