"कहीं खो जाएं हम"(कविता)

रंगीली दुनियां में, रंग बदलते,

हर दिन खो जाना मंजूर था तुम्हे,

पलटकर देखा ही नहीं

पीछे छूट गई खुशियों को,

मुस्कुरा कर बाहें फैलाए

उन राहों को,

कुछ बेरंग से सपनों को

जिनमें रंग भर सकते थे हम


एक प्रयास मात्र करते और

रंग ले सकते थे उगते सूरज से

ढलती सुनहरी शाम से

तितलियों से, फूलों से,

प्रकृति के हर स्वरूप से,


मगर नहीं ले सके,

क्योंकि हमने चुने 

दुनियादारी के रंग,

झूंठी मुस्कुराहटें, 

और मुखौटों का संग


काश लौट आते फिर 

हम अपने सपनों की तरफ

जहां भरकर मनचाहे रंग 

जीवन में, 

 युगों युगों तक के लिए

कहीं खो जाएं हम

कल्पनाओं के जहां में।

Written by रिंकी कमल रघुवंशी"#सुरभि"

Comments

  1. युगों युगों तक के लिए

    कहीं खो जाएं हम
    Heart ❤️ touching line...

    ReplyDelete

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