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"माँ"(कविता)

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मेरी मां प्यारी मां न्यारी माँ माँ  आपने मुझे जन्म दिया आपका मुझ पर उपकार है । माँ  आपने मुझे बचाया सबसे आपका धन्यवाद है । मेरी  माँ  प्यारी  माँ आपने लूटा दी हर खुशी मेरी हर उस मुस्कुराहट पर । हर मुसीबतों से लड़ना सिखाया आपका मुझ पर उपकार है । मेरी  माँ  प्यारी  माँ माँ  ने कहा जुट कर करना मुसीबतों का सामना । कभी ना हार मानना न हटना तुम कभी पीछे । माँ  मेरी  माँ  प्यारी  माँ मेरी एक मुस्कुराहट बन जाए माँ  की जिंदगी । माँ  मैं आपका बलिदान कभी न भूलूंगी। मेरी  माँ  प्यारी  माँ Written by  #लेखिका_पूजा_सिंह

"तेरे आँसू"(कविता)

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चोट लगी मुझे महसूस  तुझे क्यों हुआ  चलते - चलते गिरि मैं तो रो तू क्यों गई  । तेरे झलकते आँसुओ ने मुझे  दर्द का एहसास ही न होने दिया  चोट लगी मुझे  महसूस तुझे हुआ  । ये देख मेरे आँसू नहीं  खुशिया छलकने आई  कितनी आसानी से मैने  भी कह दिया  । देख मुझे कुछ भी  तो नहीं हुआ  चोट लगी थी  मुझे पर महसूस  तुझे भी हुआ । तुझे पता है  जब मैं गिरती थी  तो रोती बहुत थी  ये सोच कर कि  आज फिर  गिर गई मैं  । नहीं संभाल सकी  खुद को आज मैं आगे करूंगी क्या मैं  मैं यह तक आज पहुंची  माँ – बाप के सहारे  । वो सपना कैसे पूरा करुगी जो  छोटी – सी उम्मीद मुझसे जुड़ी है  मुझे मैरे गिरने का दर्द  इतना तो नहीं  । बस कुछ यादे फिर से  ताजा होकर छा जाती है  लेकिन आज मैं रोई नहीं  तेरा चेहरा देख कर  । क्योकि तूने मुझे संभाल लिया  मेरे हालात देख कर मेरा दर्द तुझे कितना  महसूस हुआ तेरे छलकते आँसू ने  मुझे समझा दिया । Written by  #लेखिका_पूजा_सिंह

"रूप अनेकी(महिला)"(कविता)

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महिला पर क्या लिखूं आज  महिला एक हैं पर नाम अनेक हैं  । महीला एक नाम है, महिला एक मान है  । महिला एक सम्मान है, महिला एक अवतार हैं  । महिला एक सार है, महिला एक विस्तार हैं  । महिला एक संसार हैं, महिला एक दरिया हैं  । महिला एक मरियादा है, महिला एक विश्वाश हैं  । महिला एक सूरज हैं,  महिला एक चांद हैं  । महिला एक दुर्गा रूप हैं, महिला ही काली रूप हैं  । महिला एक हैं, महिला एक हैं पर नाम अनेक हैं  । Written by  #लेखिका_पूजा_सिंह

"दर्द"(कविता)

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  खाली पन्नों की तरह मेरी जिंदगी हैं जो आता भरता चला जाता हैं  । जो चाहे मिट्टा चला जाता हैं  जो भी चाहे फाड़ता चला जाता हैं  । लेकिन इस पन्ने से तो पुछो  उसे कितनी तकलीफ होती हैं  । क्यों देते हो उस पन्ने को दर्द भरी जिंदगी ? तुम क्या जानो उसका दर्द , कैसे कम करोगे इस पन्ने की तकलीफ को ? आख़िर कैसे ? और कब तक ? Written by  #लेखिका_पूजा_सिंह

"माँ-पापा"(कविता)

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याद है मुझे हां याद है मुझे भगवान है मेरे मां पापा  । अस्पताल में थी मैं साथ थी मेरी मां मंदिरों में थे मेरे पापा  । पट्टी से बंदी में थी मैं सहला रहे थे मुझे मेरे मां पापा  । भगवान को देखा हैं मेने वो है मेरे मां पापा  । खुद के काबिलियत भरोसा नहीं किसी के बातों पर भरोसा है मुझे वो है मेरे मां पापा  । गलती करने पर सजा भी देते है भगवान कभी रुलाते नहीं वो है मेरे मां पापा  । चलना मुझे नहीं आता मेरा सहारा बन जाते हैं वो है मेरे मां पापा । Written by   #लेखिका_पूजा_सिंह

"खुद को खुद से"(कविता)

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 मैं कहीं खो सी गई हूँ खुद को ढूंढना चाहती हूँ  मैं कही से रूठ सी गई हूँ खुद को मनाना चाहती हूँ मैं कही उदास सी हो गई हूँ खुद से मुस्कुराना चाहती हूँ मैं कही ख्यालों में डूब सी गई हूँ खुद को बाहर निकालना चाहती हूँ अब मैं खुद को खुद से ही पाना चाहती हूँ Written by  #लेखिका_पूजा_सिंह

"Online की रफ्तार"(कविता)

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    न जाने online ये कैसी दोस्ती हो गई अब न जाने उस पर इतना क्यों विश्वास आज online है तो वो कल offline फिर भी दिल में इतनी इक्छाए क्यों ।  क्या मुझमें ही है इतनी उत्सुकता उसमें भी है मुझसे बात करने को ये दोस्ती साल भर की हो गई फिर भी कुछ बाते अधूरी - सी रह गई ।  तेरे साथ online आने से ये समय की रफ्तार मानो कितनी तेजी में हो माना ट्रेन एक स्टेशन से दूसरे स्टेशन अपने राहा की ओर पहुंचती है ।  मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता किस स्टेशन पर है तू समय से लौट आए तू यही इंतजार करती ।  तेरे लेट आने से गुस्सा तो बहुत रहता था मन में तेरा online message आते ही गुस्सा का 'ग' भूल जाती  कुछ ऐसी ही हमारी  online दोस्ती वाली chatting  का संसार  ।  Written by  #लेखिका_पूजा_सिंह